अब जेल में बंद उग्रवादियों की मदद लेगी रांची पुलिस

विशेष संवाददाता द्वारा
रांची :पूर्व एसपीओ बुधु दास हत्याकांड का खुलासा करने के लिए रांची पुलिस अब जेल में बंद पीएलएफआइ उग्रवादियों की मदद लेगी। पिछले तीन साल में दर्जनों उग्रवादियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पुलिस सभी गिरफ्तार उग्रवादियों की सूची तैयार कर रही है। इसके बाद सभी उग्रवादियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। हर उग्रवादी से सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार खुद पूछताछ करेंगे। पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि बुधु दास को गोली मारने वाले का नाम दाउद तिर्की था। हत्या करने के बाद दाउद तिर्की पीएलएफआइ संगठन में शामिल हो गया था। लेकिन बाद में दाउद तिर्की के बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
पुलिस का कहना है कि बुंडू इलाके में रांची जिला से सटे जंगलों में सर्च अभियान चलाया जाएगा। रांची पुलिस दूसरे जिलों की पुलिस से भी मदद लेगी। उग्रवादियों से पूछताछ और जंगल में छापेमारी करने के बाद पुलिस काेउम्मीद है कि दाउद तिर्की के बारे में कोई सुरगा मिल जाए। सदर डीएसपी ने केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया है कि इस मामले में नए सिरे से जांच करें, ताकि हर लोगों का बयान फिर से लिया जा सके। पुलिस को इस हत्याकांड का खुलासा करने में सफलता मिल पाए।

कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास के सामने नवीन पुलिस लाइन के गेट के पास सात सितंबर 2018 को पूर्व एसपीओ बुधु दास की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सीसीटीवी में बाइक पर सवार तीन अपराधी दिखे थे। इसमें से एक अपराधी दाउद तिर्की की पहचान हो पाई थी। हत्याकांड में गोंदा थाने की पुलिस ने मुख्य आरोपित बबलू कुम्हार को संदेह के आधार पर छह मार्च 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने बबलू कुम्हार की लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की कोर्ट से अनुमति मांगी थी। बबलू कुम्हार ने जांच कराने से मना कर दिया था। मृतक की पत्नी सुकुरमुनि देवी जो घटना की चश्मदीद थी, वह भी अपने पूर्व के बयान से मुकर गयी, जिसका लाभ आरोपित को मिला। कोर्ट ने अभियोजन द्वारा साक्ष्य नहीं जुटाने के कारण आरोपित बबलू कुम्हार को बरी कर दिया।
सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार ने बातचीत में कहा कि इस कांड का खुलासा करने के लिए पुलिस नए सिरे से जांच करेगी। जेल में बंद उग्रवादियों को रिमांड पर लिया जाएगा। इस कांड का खुलासा करने के लिए एसआइटी का गठन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री आवास के समीप हत्या के बावजूद पुलिस को शुरूआती अनुसंधान में कुछ भी हासिल नहीं हुआ। प्रारंभ में पुलिस ने शक के आधार पर धनंजय मुंडा समेत कुछ अन्य एसपीओ को हिरासत में लिया। लेकिन शुरूआती अनुसंधान में लापरवाही के कारण आरोपितों को काफी मौका मिल गया। बबलू कुम्हार को भी पुलिस ने शुरूआती अनुसंधान में हिरासत में लिया था, लेकिन फिर उसे छोड़ दिया गया था।
पूरे शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से कुछ हासिल नहीं हुआ। हाई प्रोफाइल सिक्योरिटी जोन में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे काफी कम रिजॉल्यूशन के थे, ऐसे में तस्वीरों से कुछ खास हासिल नहीं हुआ। पुलिस तकनीकी साक्ष्य जुटाने में असफल रही।
हत्याकांड में मुख्य गवाह सुकुरमुनि देवी कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई। चार्जशीट में जिन गवाहों का नाम दर्ज था, उन्होंने कोर्ट को बताया कि अनुसंधान में पुलिस ने उनका बयान ही नहीं लिया था। बगैर बयान लिए चार्जशीट में उनका नाम दर्ज कर दिया गया।

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